Wednesday, 28 December 2016

अलविदा २०१६ --- भाग-१


कुछ ही दिनों में या महज़ ८७ घंटों में २०१६ भी ख़त्म हो जायेगा. एक और साल बीता जा रहा है, इस एक साल में अनेकों कहानियां सुनी हमने, कई बयार भी चले, हर कदम पर हर दिशा में एक लहर सी नज़र आई. कभी देशहित की, तो कभी कुछेक लोगो के स्वार्थ की, कभी स्वच्छता को ज़मीं पर उतार लाने की तो कभी जन कल्याण की. और भी बहुत से किस्से-कहानियां ... वक़्त जब बीतता है तो उसकी कदर समझ में आती है. बहुत से लोग खुश होंगे इस साल के बीतने से तो कुछ लोग उदास भी.
वो कहते हैं ना “बीतता तो वक्त है, लेकिन उसके साथ ख़त्म हम होते हैं” और ये कहानी किसी एक इन्सान की नही होती, ये तो पूरा सिस्टम है जो चलता ही रहता है... साल-दर-साल बीतते जाते हैं और लोग-बाग़  उसके साथ ही बनते-बिगड़ते रहते हैं.. ऐसा ही कुछ इस साल २०१६ में भी हुआ और आने वाले साल २०१७ में भी बहुत सारी प्रत्याशित- अप्रत्याशित कहानियां सुनने-सुनाने को मिलेंगी... लेकिन हमे आने वाले वक़्त का खुले मन से स्वागत करना होगा. वक़्त का वो पल जब २०१६ और २०१७ का आलिंगन होगा, वह वक़्त सबसे ज्यादा खुबसूरत और रमणीय होगा क्योंकि उस पल में हर इन्सान का भूत, भविष्य और वर्तमान एक साथ गले मिलेंगे....
जैसा कि मैंने कहा “बीतता तो वक्त है, लेकिन उसके साथ ख़त्म हम होते हैं”.आप सब से मैं सिर्फ इतना ही कहूँगी, जाते हुए वक़्त को हँस कर विदा कीजिये और आने वाले वक़्त का मुस्कुरा कर आलिंगन..

  “अभी तो कई जीत बाकी हैं,
   कई हार बाकी है..
   अभी तो ज़िन्दगी का सार बाकी है
   यहाँ से चलें हैं नई मंजिल के लिए,
   यह तो महज़ एक पन्ना था
   अभी तो पूरी किताब बाकी है..”