ओरछा किला भारत के मध्य प्रदेश राज्य के ओरछा नामक स्थान पर बना एक किला है। इसका
निर्माण सोलहवीं सदी में राजा रुद्र प्रताप सिंह ने शुरू करवाया था।
यह
मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले में स्थित है। यह बेतवा नदी और जामनी नदी के संगम से
एक छोटा सा द्वीप बना है। इसके पूर्वी भाग में बाजार से शहर में आने के लिए
ग्रेनाइट पत्थर से पुल बनाया गया है।
टीकमगढ़ नगर से लगभग 80 किलोमीटर दूर ओरछा नगर स्थित है। इस नगर
से 15 किलोमीटर दूरी पर झाँसी स्थित है।
इस किले का निर्माण वर्ष 1501 में राजा रुद्र प्रताप
सिंह ने कराया था। इस किले के अन्दर भवन और मंदिर भी है। राज महल और राम मंदिर की
स्थापना राजा मधुरकर सिंह ने कराई थी, जिसने यहाँ वर्ष 1554
से 1591 तक राज किया था। जहाँगीर महल और सावन
भादों महल का निर्माण राजा वीर सिंह देव ने कराया था।
किले की संरचना
किला के परिसर में जाने के लिए एक बड़ा
प्रवेश द्वार है जिसकी शुरुवात धनुष सेतु से होती है। इसके बाद में एक बाद खुला
चतुर्भुज यार्ड आता है जो महलों से घेरा हुआ है। इनमे राजा महल या राजा मंदिर, जहागीर महल, सावन भादो महल, शीश महल, उद्यान,
मंडप, और मंदिर है।
किले
के परिसर में उल्लेखनीय वास्तुशिल्प सुविधाए खुले फ्लैट क्षेत्र बाल्कनिज, और सजाई हुई लैटिस खिडकियों का अनुमान
लगाया गया है।
राजा महल: राज महल में राजाओं और रानियों ने वर्ष 1783 तक निवास किया था। इसे
सोलहवीं सदी के शुरुआत में बनाना शुरू किया गया था। इसे बहुत साधारण रूप दिया गया
था। महल के अन्दर के कक्षों में देवी देवताओं, पौराणिक पशुओं
और लोगों के चित्रों से सजाया गया था। महल के ऊपरी मंजिल के छत और दीवारों में
दर्पण के निशान मिलते हैं। इसकी खिड़कियों को इस तरह से बनाया गया था कि सूर्य की
रोशनी के महल के अन्दर में आने पर कमरों का तापमान अलग अलग हो जाये। महल के आंतरिक
दीवारों में भगवान विष्णु के चित्र बने हैं। इस महल में कई गुप्त मार्ग हैं।
उद्यान: किले के परिसर
में शानदार उद्यान है जिसमे एक फव्वारे की पंक्ति है जो “महल मंडप” में ख़तम हो
जाती है जिसमे आठ स्तंभ है। इस शीतल प्रणाली में एक जल वेंटिलेशन प्रणाली होती है
जो की “चन्दन कटोरा” के साथ भूमिगत महल
से जुड़ा है।
जहांगीर महल: यह आयतकार चबूतरे पर बना है और इसके हर कोने पर गोलाकार गुंबद
है. इसकी खूबसूरत सीढीयों और गेट के लिए यह महल प्रसिद्ध है. जो मुगल बुंदेला
दोस्ती का प्रतीक है. कहा जाता है कि बादशाह अकबर ने अबुल फज़ल को शहजादे सलीम
(जहांगीर) को काबू करने के लिए भेजा था, लेकिन सलीम ने बीर सिंह की मदद से उसका कत्ल करवा दिया. इससे खुश होकर
सलीम ने ओरछा की कमान बीर सिंह को सौंप दी थी. वैसे, ये महल
बुंदेलाओं की वास्तुशिल्प के प्रमाण हैं. खुले गलियारे, पत्थरों
वाली जाली का काम, जानवरों की मूर्तियां, बेलबूटे जैसी तमाम बुंदेला वास्तुशिल्प की विशेषताएं यहां साफ देखी जा
सकती हैं.
शीश महल: इसे पैलेस ऑफ मिरर भी कहा जाता है. इसका आर्किटेक्चर देखने लायक है.
छतरी: यहां बेतवा नदी के किनारे कंचन घाट पर कई छतरियां हैं जो बुंदेलखंड के शासकों के वैभव की कहानी बताता है.
राजा राम मंदिर: यह मंदिर चौकोर चबूतरे पर बना है. यह मंदिर ओरछा का सबसे लोकप्रिय और महत्वपूर्ण मंदिर है. यह भारत का एकमात्र मंदिर है जहां भगवान राम को राजा के रूप में पूजा जाता है. माना जाता है कि राजा मधुकर को भगवान राम ने स्वप्न में दर्शन दिए और अपना एक मंदिर बनवाने को कहा. राजा ने श्रीराम के जन्मस्थल अयोध्या से उनकी मूर्ति मंगवाई और उसे मंदिर का निर्माण होने तक महल में रखवा दिया. बाद ने राम ने मूर्ति महल से न हटाने को निर्देश दिया. इस प्रकार महल को ही भगवान राम का मंदिर बना दिया गया.