हर एक मंज़र आँखों को सुकून दे जाये,
ये मुमकिन तो नही...
गुजरता हुआ हर पल गम की बरसात कर जाये,
ये भी तो मुमकिन नही ...
होते हैं कुछ लम्हे ऐसे जिन्हें जी पाना संभव
होता नहीं...
लेकिन उन्हें भूल जाना भी तो मुमकिन नहीं...
इस कदर भारी हो जाती हैं कुछ यादें
जिनकी गलियों से गुजर पाना अक्सर मुमकिन नही
होता..
कल तक जो हर कदम साथ होते थे
आज उनसे ही मिलना मुमकिन नही होता..
छोड़ जाते हैं जब वो ही हाथ
जिनकी उँगलियों के सहारे बगैर चलना नही आता ...
कदम तो चलते रहते हैं राहों पर अपने
लेकिन उन्हें आगे बढ़ना नही आता ...
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