Wednesday, 19 December 2018

जब से मिली हो तुम


















इश्क,उल्फ़त,दिल्लगी
सब भूल गया हूँ मैं,
जब से मिली हो तुम
तुम में ही डूब गया हूँ मैं ||

अब मुझे कुछ और नज़र आता ही नहीं,
मंजर कोई भी हो,
दिल को भाता ही नही,
तुम्हारे प्यार में पड़ कर,
मुहब्बत सीख गया हूँ मैं ||

तुम पास हो मेरे तो
फिर से जी उठा हूँ मैं,
तुम्हारी इक मुस्कुराहट पर,
अपनी खुशियाँ लूटा बैठा हूँ मैं,
जब से मिली हो तुम,
तुम्हे ही दुनिया बना बैठा हूँ मैं ||


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Tuesday, 18 December 2018

खो जाता हूँ मैं



खो जाता हूँ मैं खुद में ही कहीं
जब भी देखता हूँ चेहरा तुम्हारा,
सिहर उठता है मेरा रोम-रोम
जब सुनाई देती हैं 
मुझे धड़कने तुम्हारी ||

जब भी देखती हो तुम मुझे,
अपनी पलकों को झपक कर
एक पल को दुनिया भूल जाता हूँ मैं ||

नन्ही-नन्ही उँगलियों से,
जब पकड़ लेती हो 
मेरे मजबूत हाथों को
ऐसा लगता है कोई पेड़
अपनी ही लटों से लिपट-सा गया है ||

तुम तो अभी बिलकुल मासूम हो
तुम्हे तो कुछ भी पता नहीं
फिर भी जब तुम यूँ ही 
कभी-कभी मुस्कुराती हो,
तो मैं सोचता हूँ
तुम मुझे जीवन का
नया पाठ पढ़ाती हो ||

जब से थामा है मैंने तुम्हें
अपनी हथेलियों में,
लगता है मेरी छोटी-सी मुट्ठी में,
मेरी दुनियाँ कैद है ||  

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Monday, 17 December 2018

कह दो न तुम्ही





कह दो न तुम्ही,
जब देखा था पहली दफा तुमने 
कुछ तो बात रही होगी ||

बहती हवाओं में उड़ता,
वो मखमली दुप्पटा मेरा,
बारिश की बूंदों से
भीगी -भीगी मेरी जुल्फे,
नम हथेलिओं में भर कर,
अपनी उगलियों की सुरसुराहट से
जब संवारा था तुमने
कुछ तो बात रही होगी ||

उलझी हुई जुल्फों को
सुलझाते-सुलझाते जब
उलझने लगी थी तुम्हारी निगाहें,
देखा था मैंने
कुछ जाम ख्वाबों के छलक रहे थे,
वो पतली-सी हँसी दबी-दबी सी,
बरबस ही आ गयी थी होठों पर तुम्हारे,
कुछ तो बात रही होगी ||

वो बाँकपन, वो अठखेलियाँ
रंगने लगी थी आफ़ताबी रंगों में,
अपने दरम्याँ जो थी शोखियाँ
लिपटने लगी थी गुलाबी चादर में
कह दो ना एक बार ही सही
कुछ तो बात रही होगी ||

जब देखा था पहली दफा तुमने
कुछ तो बात रही होगी ||

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