

इश्क,उल्फ़त,दिल्लगी
सब भूल गया हूँ मैं,
जब से मिली हो तुम
तुम में ही डूब गया हूँ मैं ||
अब मुझे कुछ और नज़र आता ही नहीं,
मंजर कोई भी हो,
दिल को भाता ही नही,
तुम्हारे प्यार में पड़ कर,
मुहब्बत सीख गया हूँ मैं ||
तुम पास हो मेरे तो
फिर से जी उठा हूँ मैं,
तुम्हारी इक मुस्कुराहट पर,
अपनी खुशियाँ लूटा बैठा हूँ मैं,
जब से मिली हो तुम,
तुम्हे ही दुनिया बना बैठा हूँ मैं ||
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