Wednesday, 29 November 2017

शृंखला --- इतिहास भारत का कहानी -- “ पलक्कड़ किला ”

Palakkad Fort – पलक्कड़ किला, जिसे टिपू के किले के रूप में भी जाना जाता है, यह किला केरल के छोटे जिले में स्थित है और केरल के सबसे अच्छे संरक्षित किलों में से एक है। किला टीपू सुल्तान के साहस और बहादुरी का प्रतीक है, इसलिए इसे टिपू का किला कहते है।
पलक्कड़ किला, केरल – Palakkad Fort
इतिहासकार के रिकॉर्ड के अनुसार, यह माना जाता है कि पलक्कड़ राजा का राजा वास्तव में ज़मोरीन का सहायक था। 18 वीं सदी की शुरुआत के दौरान उन्होंने खुद को ज़मोरिन से अलग कर दिया और स्वतंत्र बन गया। हालांकि ज़मोरीन ने उनके पर हमला किया और वह कुछ मदद मांगने के लिए टीपू सुल्तान के पिता हैदर अली के पास आए।
मौका देखकर हैदर अली ने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थान के स्वामित्व को हासिल करने के लिए जब्त किया, और इस किले को ईस्वी 1766 में हैदर अली द्वारा पुनर्निर्मित हैं।
1784 में, ग्यारह दिनों के सिज के बाद, किले को कर्नल फुलरटन के तहत ब्रिटिश द्वारा कब्जा कर लिया गया था। बाद में कोज़िकोड ज़मोरीन के सैनिकों ने किले पर कब्ज़ा कर लिया, लेकिन 17 9 0 में अंग्रेजों ने इसे पुनः कब्जा कर लिया। उन्होंने फिर से किले को पुनर्निर्मित किया।
टीपू सुल्तान ने 1799 में अंग्रेजों के साथ एक मुठभेड़ में अपना जीवन खो दिया और बाद में उसके नाम पर जाना जाने लगा।
                   पलक्कड़ किले की वास्तुकला – Palakkad Fort Architecture
किला एक चौकोर आकार में बनाया गया है। राजसी किले में चारों तरफ विशाल दीवार और गढ़ है। प्रारंभिक समय के दौरान किले का प्रवेश द्वार पुल के माध्यम से होता था, जिसे बाद में बदल दिया गया था, बाद में इसे स्थायी रूप में किया गया था।
भगवान हनुमान का मंदिर भी हनुमान के समर्पण में बनाया गया है जो किले के अंदर पाया जाता है और इसके साथ ही यहां एक खुली हवा की सभागार है जिसे एक उप-जेल और शहीद का स्तंभ कहा जाता है।

पलक्कड़ किले का आकर्षण – Attraction of Palakkad Fort

पलक्कड़ किला का भव्य ढांचा उन प्रतीकों में से एक है जो भारतीय शासकों और ब्रिटिशों के बीच हुई कई युद्धों के बारे में बात करता है। किले परिसर में एक मंदिर है जो कि भगवान हनुमान को समर्पित है।
किले परिसर के अंदर एक खुली हवा की सभागार राप्पड़ी’, एक शहीद का स्तंभ और एक उप-जेल भी है।

शृंखला -- इतिहास भारत का कहानी -- “ मदन महल किला ”

Madan Mahal Fort – मदन महल का किला मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर में लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण है जिसे दुर्गावती किले के नाम से जाना जाता हैं। मदन महल का किला एक ग्रेनाइट पत्थर पर बना है, जो उसी नाम की पहाड़ी पर करीब 515 मीटर की ऊंचाई पर है।
मदन महल का किला 11 वीं शताब्दी में 37 वें गोंड शासक मदन सिंह के शासनकाल के तहत बनाया गया है।
यद्यपि मदन महल किला को किला कहा जाता है लेकिन मूल रूप से यह एक सैन्य पोस्ट था जिसे वॉच टॉवर और सैन्य बैरक के रूप में इस्तेमाल किया गया था।
किला गोंड रानी रानी दुर्गावती से और उनके बेटे मदन सिंह के साथ जुड़ा हुआ है। जो दसवें गोंड शासक थे। रानी दुर्गावती अंततः मुग़ल से लड़ते हुए शहीद हुईं थी।
जबलपुर के शासकों ने जबलपुर, मंडला और आसपास के क्षेत्रों पर राज्य किया। मदन महल उनके द्वारा निर्मित एक ऐसा किला है। यद्यपि बिल्कुल वास्तुशिल्प के चमत्कार नहीं, छोटे किले को भारत में प्राचीन स्मारकों के रूप में देखा जाता है।
मदन महल किले की वास्तुकला – Madan Mahal Fort Architecture
किले ने शासक, अस्तबल, युद्ध कक्ष, प्राचीन लिपियों, गुप्त मार्ग, गलियारों और एक छोटे से जलाशय के मुख्य सुख-मंडल को सम्मिलित किया, जो कि सभी किले के अंदर दिखाई दे सकते हैं। किले के कमरों को रणनीतिक रूप से डिजाइन किया गया था, मुख्य ढांचे के सामने जो शायद शाही सेना के सैनिकों को दर्ज करा रहे थे।


हर इन्सान से कैसे सीखे?

                   हर इन्सान से कैसे सीखे?

            
जानवर और इन्सान में केवल एक समझ और ज्ञान का फर्क होता है, इन्सान की बुद्धि विकसित हो चुकी है. और वो धीरे-धीरे सीखता जा रहा है.
अगर आज के वक्त में कोई भी इन्सान कामयाब है तो उसकी एक बात जरुरी अच्छी होगी की वो हर वक्त सीखता है. सीखना ही इन्सान की एक पहचान है, क्योंकि जो सिख रहा है वही जिन्दा है बाकी सब अपनी जिंदगी में केवल समय को जाते देख रहे है.
चाहे आपका कोई भी फील्ड हो, हर इन्सान को काफी चीजे आनी जरुरी है, जैसे डॉक्टर को बात अच्छे से करनी आनी चाहिए नहीं जो डॉक्टर की पढाई में सिखाया जाता, एक अच्छे सेल्समेन का Attitude अच्छा होना चाहिए वरना कोई भी व्यक्ति उससे प्रोडक्ट नहीं खरीदेगा.
क्योंकि कहा जाता है, लोग आपके प्रोडक्ट को नहीं आपके attitude को खरीदते है, फिर चाहे आप कोई भी बेचों वो माइने नहीं रखता.
अगर simple language में कहूँ तो “जो दिखता है वही बिकता है”.
तो यह Attitude को सीखे कहा से? या डॉक्टर है तो उसे अच्छे से बात करनी सीखनी कहा से?
इसका जवाब है, हर इन्सान केवल बुक और एजुकेशन से नहीं सीखता है, कुछ बाते आपको लोगो से और आस पास के बदलते माहोल से ही सीखनी होती है.
उसके लिए आपके पास में हर इन्सान से सिखने की तकनीक भी होनी चाहिए
इन तरीको से अपना ज्ञान हर इन्सान से लेकर बढ़ाते रहे

सबसे पहले अपने अवलोकन शक्ति को बढ़ाये

अवलोकन का मतलब होता है आप कितनी बारीकी से चीजो को देखते और सुनते हो. अगर आप किसी इन्सान से मिलो तो उसके बोलने के तरीके से कुछ सीखो, उसके खड़े होने के तरीके से कुछ सीखो, उसके चलने के और हर एक्टिविटी से सीखते चले जाओ.
इसके लिए आपकी अवलोकन शक्ति (ग्रास्पिंग कैपेसिटी) जितनी अच्छी होगी उतने ही जल्दी से आप लोगो को समझते जाओगे और उनसे सीखते जाओगे.
आप बस में, ट्रेन में हर जगह हर इन्सान से सीखते वक्त इतने एक्टिव हो जाओगे की तब आप हर पल कुछ न कुछ सिख रहे होगे.
आपको आलस दूर-दूर तक नहीं दिखेगा, आलस इन्सान को तब आता है जब इन्सान के पास कुछ interesting करने को नहीं रहता, लेकिन जब आप हर इन्सान से सीखोगे तब आपको जिंदगी भी अच्छी लगेगी.

इन्टरनेट पर अपने फील्ड के व्यक्ति से जुड़े

इन्टरनेट पर भारतीय लोग भी काफी वेबसाइट/ब्लॉग और YouTube पर चैनल बना रहे है, अगर आप चाहो तो उनसे भी कांटेक्ट करके बात करके उनसे भी काफी चीजे सिख सकते है.
उनके लिखे हुए ब्लॉग पर आर्टिकल पढ़ कर या YouTube की हर एक ज्ञान से भरी हुई विडियो देख कर सिख सकते है.
जैसे मानलो आपको राइटिंग पसंद है, तो इन्टरनेट पर आपको कई ब्लॉग मिल जाएगी जो अच्छा राइटर बनने को गाइड करते है.

अपनों से छोटो से भी सीखो

ऐसा जरुरी नहीं है अगर आप उम्र में या क्लास में आगे है तो आपको सब आता है, ऐसा आपके दिमाग में आना ही नहीं चाहिए की आपको इस विषय में सब आता है, क्योंकि अगर आप ऐसा करते है तो आपनी ज्ञान के बढ़ने के आकड़े को कम कर देते है.
आपको हर इन्सान से ज्ञान को लेना है, हर वक्त ज्ञान को लेने के लिए सतर्क रहना है.

असफल लोगो से भी सीखो

हाहा….!! आपको जरुर यह सुनने में अजीब लगा होगा कि उनसे क्या सीखना?
चलिए मैं एक उदहारण से इस बात को समझाती हूँ.
मानलो आप एक मेडिकल खोल रहे है, और आप मेरी इस बात को मान कर एक असफल मेडिकल चलाने वाले से सलाह ली तो आपको यह बात जानने को मिली की गलत जगह पर मेडिकल नहीं खोलना मेडिकल के लिए एक अच्छी जगह भी होना चाहिए.चाहिए इसी तरह के कई टिप्स एक असफल इन्सान आपको दे सकता है जिससे आप समझ पाएंगे की सफल होने के लिए आप को क्या क्या सावधानियां बरतनी है इत्यादी.  

सबसे इम्पोर्टेन्ट: ध्यान एक तरफ

अगर आपका ध्यान एक तरफ नहीं है तो कभी भी बारीक़-बारीक़ बातो को गौर करके नहीं सीख सकते. जितना आपका ध्यान लगाने की क्षमता अच्छी होगी उतने जल्दी किसी भी समस्या से आप समझ कर हल कर के बाहर आ सकते है.
·         टिप: घ्यान बढाने के लिए आप मैडिटेशन कर सकते है.
तो शुरू होता है अब आपके सिखने का सफ़र, क्योंकि जो इन्सान सिख रह रहा है वो जिन्दा है, जिसने सीखना बंद किया वो जिन्दा लाश है.